आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है
तू अगर मुझसे ख़फ़ा है तो छुपाता क्यूँ है
ग़ैर लगता है न अपनों की तरह मिलता है
तू ज़माने की तरह मुझको सताता क्यूँ है
वक़्त के साथ हालात बदल जाते हैं
ये हक़ीक़त है मगर मुझको सुनाता क्यूँ है
एक मुद्दत से जहां काफ़िले गुज़रे ही नहीं
ऐसी राहों पे चराग़ों को जलाता क्यूँ है
Feel free to leave your comment below or get in touch with me on WhatsApp/Viber number: +9779844128670